एनएचपीसी ने 27,000+ MW की ग्रीन एनर्जी पाइपलाइन लॉन्च की है। जानिए कैसे NHPC और NHPC Share भारत के Net Zero लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं।
नई दिल्ली: भारत की सबसे बड़ी हाइड्रोपावर कंपनी NHPC ने अपने ग्रीन एनर्जी प्लान्स से एक बार फिर सबको चौका दिया। NHPC ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि देश का Net Zero लक्ष्य 2030 तक संभव है। यदी उनके प्लान के मुताबिक आगे बढ़ा जाए तो!
बता दें कि, कल बुधवार को ET India Net Zero Forum 2025 में NHPC के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर राज कुमार चौधरी ने अपनी राय रखते हुए कहा कि, NHPC के पास वर्तमान में 8,193 MW की ग्रीन कैपेसिटी ऑपरेशनल है, और 9,843 MW उत्पादन क्षमता निर्माणाधीन है और 9,030 MW की उत्पादन क्षमता अभी सर्वे फेज में है। यानी कुल मिलाकर NHPC की ग्रीन एनर्जी पाइपलाइन 27,000 MW से भी ज्यादा की है।
Economic Times India Net Zero Forum 2025 में NHPC के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर राज कुमार चौधरी द्वारा ये जानकारी देने के बाद आज गुरुवार 19 जून को NHPC Share में हलचल भी देखने को मिली। क्योंकि इस खबर के बाद, NHPC Share के निवेशकों को उम्मीद है कि NHPC की आक्रामक ग्रीन पॉलिसी और सरकार की Net Zero रणनीति से NHPC Share को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा।
NHPC के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर राज कुमार चौधरी क्या कहा?
NHPC के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर राज कुमार चौधरी ने मंच से सभी को संबोधित करते हुए कहा कि, “NHPC न केवल भारत में, बल्कि नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी देशों में भी हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को विकसित करने की दिशा में कार्य कर रहा है।” और जिस रणनीति के तहत ये वो कार्य कर रही है, उस रणनीति से न केवल भारत की ग्रीन ट्रांजिशन को मजबूती देगी, बल्कि NHPC Share को भी एक इंटरनेशनल ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा बनाएगी।”
उन्होंने यह भी बताया कि, “भारत सरकार हर साल 50 GW रिन्यूएबल एनर्जी के लिए बिड निकालने की योजना बना रही है, जिससे NHPC जैसे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बड़े अवसर मिलेंगे।” जाहिर है, इसका सीधा असर NHPC Share के प्रदर्शन पर भी पड़ेगा।
NHPC क्यों है Net Zero अभियान का लीडर?
इसके पीछे की वजह है, कंपनी की ग्रीन एनर्जी की कैपेसिट। जी हां, अभी NHPC की मौजूदा 8,193 मेगावॉट ग्रीन क्षमता हाइड्रो और अन्य क्लीन ऊर्जा स्रोतों से आती है। और इस 8,193 मेगावॉट ग्रीन क्षमता में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों में चल रही पंप्ड स्टोरेज परियोजनाएं भी शामिल हैं। और यही वजह है कि, एनएचपीसी शेयर का वैल्यू भी इस विविधीकरण से लगातार मजबूत होता जा रहा है।
चेयरमैन चौधरी ने यह भी बताया कि, विंड और सोलर ऊर्जा की अनिश्चितता के कारण भारत के लिए ग्रिड स्टेबिलिटी चुनौती बन गई है। इसीलिए NHPC जैसे प्रमुख संस्थान अब ग्रीन हाइड्रोजन और बायोमास जैसे विकल्पों पर भी जोर दे रहे हैं। यही कारण है कि कई एक्सपर्ट NHPC Share को लॉन्ग टर्म ग्रीन पोर्टफोलियो में जगह दे रहे हैं।
NHPC के प्रोजेक्ट्स से होगा पर्यावरण का फायदा
जब उनसे पूछा गया कि, क्या हाइड्रो प्रोजेक्ट्स से पर्यावरण को नुकसान होता है, तो उन्होंने इस पर अपनी स्पष्ट राय रखते हुए कहा कि, “हम हर प्रोजेक्ट में जितना जंगल काटते है, उससे दोगुना वृक्षारोपण करते हैं। इस तरह NHPC का विकास पर्यावरण संतुलन को भी बनाए रखता है।” यानी एनएचपीसी के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर्यावरण अनुकूल है। क्योंकि जितना नुकसान पेड़ काटने से पर्यावरण को होने वाला होता है, उतना ही पेड़ एनएचपीसी लगा रही हैं, ताकि पर्यावरण संतुलन बनाए रखा जा सके।
NHPC Share क्यों बना है निवेशकों की पहली पसंद?
NHPC Share निवेशकों की पहली पसंद बनने के पीछे सरकार का 500 GW रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्य है। इसके अलावा NHPC के पास अभी हाल फिलहाल 27,000+ MW की ग्रीन पाइपलाइन मौजूद है और पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट्स में भी कंपनी लीडरशिप बनकर उभरी है। इतना ही नहीं एनएचपीसी के कई प्रोजेक्ट नेपाल-भूटान जैसे देशों में विस्तार भी विस्तार कर रहे हैं। और एक बात NHPC Share निवेशकों की पहली पसंद बनने के पीछे ग्रीन हाइड्रोजन और बायोमास पर भी कंपनी फोकस कर रही है। इन सभी कारकों से NHPC Share में निवेश को लेकर भारी रुचि देखी जा रही है।
आज गुरुवार 19 जून को एनएचपीसी शेयर में बाजार खुलते ही हल्की तेजी देखने को मिली थी लेकिन निगेटिव ग्लोबल सेंटीमेंट के चलते अभी शेयर 0.50% की गिरावट के साथ 82 रुपए के आस पास कारोबार कर रहा है।
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डिस्क्लेमर: यह लेख GreenEnergyShare.in पर निवेशकों को जानकारी देने के लिए है। NHPC Share में निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें। शेयर मार्केट में निवेश जोखिमों के अधीन है।
सोर्स: एनर्जी वर्ल्ड,