भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता मार्च 2014 से 2024 तक 75.52 गीगावाट से बढ़कर 232 गीगावाट हो गई है। जानिए किन ग्रीन एनर्जी कंपनियों और शेयरों को इसका सीधा लाभ मिल सकता है।
भारत बहुत तेजी से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। खास तौर पर मोदी सरकार के कार्यकाल में, भारत की हरित ऊर्जा क्षमता मार्च 2014 में जहां सिर्फ 75.52 गीगावाट थी, वह आज मार्च 2024 में यह 232 गीगावाट तक पहुंच गई है। यह ग्रोथ इसलिए संभव हो पाई क्योंकि, सरकार ने इसपर काफी ध्यान दिया इसी का यह नतीजा है।
सौर ऊर्जा में सबसे ज्यादा उछाल
सबसे खास बात यह है कि, कुल अक्षय ऊर्जा में सबसे ज्यादा उछाल सौर ऊर्जा में देखने को मिला। 2014 में भारत की सौर ऊर्जा क्षमता मात्र 2.82 गीगावाट थी, जो 2024 तक 2.82 गीगावाट से बढ़कर 108 गीगावाट से अधिक हो गई है। यानी सौर ऊर्जा में 38 गुना की वृद्धि हुई। सौर ऊर्जा में हुई यह वृद्धि बताती है कि, सोलर सेक्टर ने पूरे ग्रीन एनर्जी मूवमेंट को किस तरह गति दी है।
बता दें कि, इस सेक्टर से जुड़ी प्रमुख waa solar, Solarium Green Energy, Webelsolar, SWSOLAR, ACME SOLAR, Alpex Solar कंपनियों में और भविष्य में और तेजी देखने को मिल सकती है। क्योंकि भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 280 गीगावाट सोलर क्षमता प्राप्त करने का है। और इसे प्राप्त करने के लिए इन कंपनियों को और जोर लगाना पड़ेगा।
पवन और जल ऊर्जा भी बनी मजबूत स्तंभ
वहीं बात करें विंड एनर्जी की तो, इसी अवधि में विंड एनर्जी की क्षमता सिर्फ पिछले एक दशक में ढाई गुना ही हो चुकी है। 2014 में भारत की पवन ऊर्जा 21 गीगावाट से बढ़कर सिर्फ 51 गीगावाट हो गई है। इस ग्रोथ के लिए बड़े पनबिजली संयंत्रों ने समर्थन दिया है। भारत ने 2030 तक 100 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का संकल्प लिया है। और एक दशक में सिर्फ आधा ही लक्ष्य पूरा हुआ है। ऐसे में अब सिर्फ 5 साल में इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विंड एनर्जी से जुड़ी कंपनियों को और दुगनी रफ्तार से काम करना पड़ेगा।
ऐसे मे Suzlon Energy Limited, Inox Wind Limited, Indo Wind Energy, Adani Green Energy इन प्रमुख कंपनी के शेयरों में भविष्य में अच्छी तेजी देखने को मिलेगी।
80% गिरावट आई है सौर ऊर्जा दरों में
और एक खास बात ये है कि, रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए एक दशक में सोलर टैरिफ में लगभग 80% की गिरावट आई है। उदाहरण के लिए नीमच में वर्तमान सौर दर 10.95 रुपये प्रति यूनिट है। इससे सौर ऊर्जा अब और अधिक सुलभ और सस्ती बन गई है।
भारत के सोलर प्रोडक्शन क्षमता में बड़ा उछाल
2014 में देश में सौर मॉड्यूल की उत्पादन क्षमता मात्र 2 गीगावाट थी, जो 2024 में बढ़कर 90 गीगावाट तक पहुंच गई है और सरकार का लक्ष्य 2030 तक इसे 280 गीगावाट तक पहुंचाने का है।
- सोलर सेल उत्पादन अब 25 गीगावाट है
- वेफर उत्पादन 2 गीगावाट
सरकार का लक्ष्य: 2030 तक 100 गीगावाट सोलर सेल और 40 गीगावाट वेफर उत्पादन
बायोपावर और बायोगैस की वृद्धि
बायोपावर क्षमता भी 8.1 गीगावाट से 2024 में बढ़कर 11.5 गीगावाट हो गई है। वहीं, संपीड़ित बायोगैस की 1 परियोजना से 150 परियोजनाओं तक की छलांग भी उल्लेखनीय है, जिनकी संयुक्त क्षमता 1,211 टीपीडी है।
अक्षय ऊर्जा क्षमता में पीएम सूर्य घर योजना का योगदान
इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सरकार ने कई योजनाएं चलाई जिनमें से पीएम सूर्य घर योजना प्रमुख हैं और इस योजना के तहत 13.3 लाख घरों को लाभ मिला, जिनमें से 12 लाख इंस्टॉलेशन सिर्फ 10 महीनों में पूरे हुए।
2024 में जोड़ा गया 25 गीगावाट अक्षय ऊर्जा
लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने 2024 में 25 गीगावाट अक्षय ऊर्जा जोड़ने में सफल हुई, जो 2023 के 18.57 गीगावाट से 34.63% अधिक हैं। अगर भारत को अपना 500 GW का लक्ष्य 2030 तक पूरा करना है, तो भारत को हर साल लगभग 50 गीगावाट ऊर्जा क्षमता जोड़ने की जरूरत है।
और इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ग्रीन एनर्जी सेक्टर से जुड़ी सभी कंपनियों को सरकार के साथ मिलकर दोगुनी रफ्तार से काम करना पड़ेगा। ऐसे में यह एक अच्छा संकेत है उन सभी निवेशकों के लिए जो ग्रीन एनर्जी शेयरों में निवेश के बारे में सोच रहे हैं।
निष्कर्ष
भारत का ग्रीन एनर्जी सेक्टर रिकॉर्ड ग्रोथ पर है। सरकार की योजनाओं और नीतियों से साफ है कि 2030 तक 500 गीगावाट का लक्ष्य सिर्फ सपना नहीं, बल्कि हकीकत बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। ऐसे में निवेशकों को ग्रीन एनर्जी से जुड़े शेयरों पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए।
सोर्स: टाईम्स ऑफ इंडिया