दरभंगा-सुपौल के बाद नवादा में बना बिहार का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट, इतनी मेगावाट बनेगी बिजली

नवादा के फुलवरिया जलाशय में बना बिहार का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट, अगले महीने से शुरू होगा 10 मेगावाट बिजली उत्पाद


Floating Solar Power Plant: बिहार में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। पहले दरभंगा और फिर सुपौल के बाद अब बिहार के नवादा जिले के फुलवरिया जलाशय में भी राज्य का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट बनकर तैयार हो गया है। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा, तो अगले महीने से इस प्लांट से 10 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू हो जाएगा।

फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट से जुड़े अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि, फुलवरिया जलाशय पर बना फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट बिहार का तीसरा और सबसे बड़ा तैरता हुआ बिजली घर है और इसे रेस्को (RESCO) मॉडल के तहत तैयार किया गया है। इसका मतलब यह है कि निर्माण एजेंसी ने अपनी ओर से पूंजी निवेश करके इसे बनाया है और अब इसके द्वारा उत्पादन होने वाले सोलर बिजली को कंपनी से राज्य सरकार 3.87 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदेगी।

नवादा के बाद अब कैमूर की बारी

नवादा में तैरता हुआ सोलर पावर प्लांट बनाने के बाद सरकार की नजर अब दुर्गावती जलाशय पर है। सरकार अब दुर्गावती जलाशय में भी 10 MW क्षमता वाला फ्लोटिंग सोलर प्लांट लगाने की योजना बना रही है और इसके लिए सरकार ने निविदा प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।

इसके अलावा बिहार सरकार “नीचे मछली, ऊपर बिजली” योजना के तहत उत्तर और दक्षिण बिहार में भी 2-2 मेगावाट के ऐसे ही Floating Solar Power Plant बनाने के लिए सर्वे कर रही है। यदि ऐसे सोलर पावर प्लांट बिहार में और लगते है तो, इससे ना केवल बिहार में बिजली उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि जलाशयों का दोहरा उपयोग भी संभव होगा।

पहले से कहां-कहां चल रहे हैं ऐसे प्लांट?

बिहार में ऐसे कई सारे Floating Solar Power Plant बनने पर काम चल रहा है। दरभंगा में पहले से फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट चालू है, जहां से 1.6 मेगावाट बिजली निर्माण हो रही है। वहीं साथ ही सुपौल के राजापोखर तालाब में बना सोलर पावर प्लांट 525 किलोवाट बिजली उत्पादित कर रहा है।

क्या होता है फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट?

फ्लोटिंग सोलर प्लांट यानी कि यानी ऐसा सोलर एनर्जी प्लांट होता है जो किसी तालाब, झील, या सरोवर के पानी पर तैरते सोलर पैनल डाल कर, उससे बिजली पैदा की जाती है। तैरते हुए सोलर पावर प्लांट को तकनीकी भाषा में फ्लोटोवोल्टाइक सिस्टम कहा जाता है। इसमें सोलर पैनलों को विशेष फ्लोटिंग डिवाइस पर लगाया जाता है, जो पानी की सतह पर तैरते रहते हैं। ये पैनल सूरज की रोशनी से बिजली बनाते हैं और पानी के नीचे बिछी केबल्स के जरिए उसे ट्रांसमिशन टावर तक पहुंचाया जाता है। और वहां स्टोर किया जाता है फिर उसे जहां चाहे वहां पर इसे सप्लाई किया जाता है।

दुनिया का पहला तैरता हुआ फ्लोटिंग सोलर प्लांट

दुनिया का पहला तैरता हुआ फ्लोटिंग सोलर प्लांट 2007 में जापान में बना था, जिसकी क्षमता मात्र 20 किलोवाट थी। लेकिन आज ऐसे कई सारे सोलर पावर प्लांट दुनियां में कई जगह पर बने हैं और आज यह तकनीक कई एशियाई देशों में तेजी से फैल रही है।

बिहार में है Floating Solar Power Plant की अपार संभावना है

बिहार में तैरते हुए फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट की अपार संभावना नजर आती है क्योंकि बिहार राज्य में 3300 से अधिक जलाशय और तालाब हैं। यदि इन सभी में इस तकनीक से बिजली उत्पादन के लिए फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट लगाए जाते हैं, तो सैकड़ों मेगावाट बिजली बनाई जा सकती है। राज्य की बिजली कंपनियां भी इस दिशा में तेजी से काम कर रही हैं।

नवादा का यह फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट न केवल जिले के लिए गर्व की बात है, बल्कि पूरे बिहार के लिए एक प्रेरणा है कि, किस तरह से सीमित संसाधनों के बीच भी हरियाली और विकास दोनों संभव हो सकते हैं।

सोर्स: लाइव हिंदुस्तान,

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