कार्यकारी ने कहा, रिलायंस इस साल सोलर मॉड्यूल फैक्ट्री शुरू करेगी, छोटी कंपनियों के लिए क्या होगा असर?

Reliance Industries इस साल अपनी सोलर मॉड्यूल फैक्ट्री शुरू कर रही है। जानें इस बड़े कदम से भारत के ग्रीन एनर्जी सेक्टर पर क्या असर होगा और छोटी कंपनियों के लिए यह चुनौती होगी या अवसर। मुकेश अंबानी के इस दांव से बदलेगा ऊर्जा परिदृश्य।

Green Energy news: देश के सबसे अमीर शख्स अरबपति मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक अधिकारी ने गुरुवार, 22 मई को जानकारी दी कि, रिलायंस इंडस्ट्रीज इस साल अपनी सोलर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल फैक्ट्री शुरू करने जा रही है। इस बयान के बाद बाजार में अटकलें लगाई जा रही हैं कि, यह कदम भारत के हरित ऊर्जा क्षेत्र में रिलायंस के आक्रामक प्रवेश का संकेत है, जिससे देश के ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी और साथ ही इस क्षेत्र की अन्य कंपनियों पर भी इसका बड़ा असर पड़ सकता है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के अधिकारी पार्थ एस मैत्रा ने क्या कहा

रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक प्रमुख अधिकारी पार्थ एस मैत्रा ने Reliance Industries के अध्यक्ष, रणनीति और पहल को लेकर बयान जारी करके कहा कि, कंपनी वर्तमान में भारत की स्वच्छ ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस साल तीन बड़ी फैक्टरियां स्थापित कर रही है। उन्होंने बताया कि, रिलायंस इंडस्ट्रीज की सौर मॉड्यूल फैक्ट्री इस साल चालू हो जाएगी, जबकि इसकी बैटरी और माइक्रो पावर इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री अगले साल शुरू होगी। उन्होंने यह भी कहा कि, यह ग्रीन एनर्जी से जुड़ी महत्वाकांक्षी योजना रिलायंस के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बनने के लक्ष्य को दर्शाती है।

मैत्रा के अनुसार, यदि यह योजना सफल रही, तो रिलायंस चीन के बाहर कुल सौर पीवी मॉड्यूल का लगभग 14% उत्पादन करके दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सौर पीवी उत्पादक बन जाएगा।

भारत 2022 में अपने स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रही

बता दें कि, भारत अपने 2022 तक अपने ग्रीन एनर्जी लक्ष्य को हासिल करने में असमर्थ रहा था और तब से लेकर आज तक इसके लिए संघर्ष कर रहा है। ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक साल में देश ने घरेलू स्तर पर बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र में अपना निवेश बढ़ाया है, और 2030 तक 500 गीगावॉट (GW) का लक्ष्य रखा है। लेकिन मौजूदा ग्रीन एनर्जी उत्पादन की रफ्तार को देख कर लगता हैं कि, इसे 2030 पूरा करना मुश्किल है। यदी इस लक्ष्य को हासिल करना है तो भारत को अपनी क्षमता वृद्धि को दोगुना करना होगा।

ऐसे में, रिलायंस का सोलर मॉड्यूल फैक्ट्री शुरू करने का निर्णय भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। reliance का लक्ष्य अंततः अपनी सौर मॉड्यूल क्षमता को बढ़ाकर 20 गीगावॉट प्रति वर्ष करना है। यदी ऐसा हुआ तो, यह न केवल भारत की घरेलू विनिर्माण क्षमता को मजबूत करेगा बल्कि ग्रीन एनर्जी के आयात पर भारत की निर्भरता को भी कम करेगा। साथ ही बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा का होने से घरेलू स्तर पर सौर ऊर्जा की लागत में कमी आयेगी। और इसे रफ्तार मिलेगी।

रिलायंस के ग्रीन एनर्जी सेक्टर में उतरने से छोटी कंपनियों पर क्या होगा असर?

Reliance Industries का ग्रीन एनर्जी सेक्टर में कदम रखना जितना अच्छा साबित होगा, उतना ही यह छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों पर गहरा असर डालेगा। जैसा टेलीकॉम सेक्टर में हुआ।

छोटी कंपनियों के लिए संभावित चुनौतियां:

प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी: रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी दिग्गज प्लेयर जो देश की सबसे बड़ी कंपनी जानी जाती हैं उसके इस क्षेत्र में उतरने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। कंपनी की वित्तीय शक्ति, बड़े पैमाने पर उत्पादन क्षमता और वितरण नेटवर्क छोटी कंपनियों के लिए कड़ी चुनौती पेश करेंगे।

मूल्य युद्ध: बड़े पैमाने पर उत्पादन के कारण सौर ऊर्जा की कीमतें तेजी से गिरेगी, जिससे छोटी कंपनियों के प्रॉफिट पर और उन्हें प्रतिस्पर्धी बने रहने में मुश्किल हो सकती है।

बाजार हिस्सेदारी घटेगी: रिलायंस अपने ब्रांड नाम और विशाल पहुंच के कारण तेजी से बाजार हिस्सेदारी पर कब्जा कर सकती है, जिससे छोटी कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी धीरे धीरे कम और अंत में खत्म हो सकती है।

तकनीकी दबाव: रिलायंस इंडस्ट्रीज अपने ब्रांड और पैसे के दम पर अत्याधुनिक तकनीकों में निवेश कर सकती है, जिससे छोटी कंपनियों पर भी अपनी तकनीक को अपग्रेड करने का दबाव बढ़ेगा, जिसके लिए बड़े निवेश की आवश्यकता होगी। जिसमें छोटी और मध्यम आकार की कंपनियां पीछे रह सकती है।

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हालांकि, Reliance Industries का रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में उतरना जितना छोटी कंपनियों के लिए चुनौतियां लेकर आ सकता हैं, उतनी ही अवसर लेकर भी आ सकता है।

रिलायंस के इस सेक्टर में निवेश से देश ग्रीन एनर्जी का बहुत बड़ा ग्रीन एनर्जी हब बन सकता है जिससे छोटी कंपनियों को फायदा होगा साथ ही कुछ नए अवसर भी खोलेगा। नई तकनीकी विकास और उसका विस्तार भी होगा। इसके अलावा छोटी कंपनियां रिलायंस के साथ आपूर्ति श्रृंखला या विशिष्ट सेवाओं के लिए साझेदारी के अवसर तलाश सकती हैं।

रिलायंस जैसे बड़े खिलाड़ी के क्षेत्र में उतरने से ग्लोबल निवेशकों का ध्यान भारत के ग्रीन एनर्जी सेक्टर की ओर और आकर्षित होगा, जिससे छोटी कंपनियों के लिए भी वित्तपोषण के नए रास्ते खुल सकते हैं।

सोर्स: इकोनोमिक टाइम

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